नक्की ऐका

मी विडंबनकार कसा झालो

 नाट्य परिषद सांगली, आयोजित #नाट्यपंढरी_वाचनकट्टा  आज दि. १६  सायं. ७ वा. l  भाग २८९ l कथावाचन l  लेखक : प्रल्हाद केशव अत्रे l वाचक : श्री. ...

Sunday, September 22, 2019

आ s रे रे


🌳🌲  🚝🚝🚝🚝 🌲🌳

याद कुछ आता नही यह हुवा कबसे
हो गया मुश्किल छुपाना "राज़ "यह सबसे
तुम कहो तो माँग लू मैं आज कुछ रब से

आरे s s रे , आरे ये क्या हुआ कोई ना पहचाना
आs s रे, आरे बनता है तो बन जाए अफ़साना

'हात' मेरा थाम लो साथी जब तक हो
🌷🏹
बात कुछ होती रहे 'युती' जब तक हो
"सामना" 📰 बाटे  रहो तुम रात जब तक हो

आरे s s रे , आ रे ये क्या हुआ, मैं ने न ये जाना
🌷🤷🏼‍♀

📝२२/९/१९
poetrymazi.blogspot.in
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